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20170831

Rahul Gandhi: क्या राहुल गाँधी कभी भी प्राइम-मिनिस्टर बन पाएंगे? एक रिपोर्ट !

किसी भी मनुष्य का ज्योतिषीय विश्लेषण, उसकी सफलताओं, असफलताओं, क्षमताओं व् उसके जीवन की उड़ान की सीमा का पूरा लेखा-जोखा होता है। तो आइये आज हम देखें कि क्या राहुल गाँधी के आने वाला समय देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है ? क्या वो अपने जीवन में कभी प्रधानमंत्री बन पाएगे, और अगर बन गए तो क्या देश के लिए कुछ कर भी पाएँगे या नहीं ? या फिर जैसा चल रहा है क्या आने वाला समय उनके लिए बहुत ही ख़राब है!  

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अगर हम बात करें 2014 के पहले के सालों कि तो ऐसा लगता था कि राहुल गाँधी एक मीठी लबालब शहद का छत्ता हैं।  जिसमें से शहद की कई बुँदे ज्यादातर मिडिया के लोगो पर गिरती रहती थी, जोकि बहुत ही लुभावना और गुलज़ार लगता था कुछ मिडिया साथियों को, कुछ अन्य भी खींचे चले आते थे क्योंकि वे उत्सुक रहते थे यह जानने में कि राहुल गाँधी की वास्तविकता क्या है। 

राहुल गाँधी का ज्योतिष विश्लेषण हम जिस कुंडली से करने जा रहे हैं वो एक रिपोर्ट पर आधारित है जो इंडियन - एक्सप्रेस में छपी थी जिसका आधार था होली फॅमिली हॉस्पिटल में पैदा हुए राहुल का बर्थ का दिन और समय।

होली फॅमिली हॉस्पिटल ने अपने पीले रजिस्टर में राहुल गाँधी के पैदा होने के मेडिकल रिकॉर्ड को बड़ी सावधानी से रख रखा है।  जिसमे 23 वर्षीय सोनिआ गाँधी ने 1 9 जून 1 970 को 2.28 बजे राहुल को जन्म दिया।


हम सबसे पहले चार्ट के अच्छे बिंदुओं को सूचीबद्ध करना चाहेंगे जिनमे लगना और बृहस्पति वर्गोत्तम हैं

ग्रह मंगल और शुक्र,  पुष्कर नवसंशा का आवरण कर रहें हैं, हालांकि मंगल ग्रह एक शक्तिशाली कारक है जो जातक (राहुल गाँधी ) को समय समय पर अबतक मदद करता आया है।

दसवां घर संकेत करता है उसके स्वामी और करक का। 

दसवें घर में कर्क राशि है जो 583 इकाइयों का भवबल है, और उसके स्वामी चंद्रमा को तीसरे घर में रखा गया है जो कि इसके छठे भाग में होता है। नवसंशा चार्ट में देखे तो चंद्रमा सातवें घर को प्रदर्शित करता है ।

राहुल गाँधी की कुंडली में पूर्ण चंद्रमा पाक्शबल में है और थोड़ा फायदेमंद रहा है। तीसरा घर और दसवां घर लगन में हैं और अपने ही प्रभु की नियुक्ति से जुड़े हैं, जो अक्सर पेशे से जुडी यात्राओं की तरफ संकेत करता है। यानिकि जातक को अपने देश और प्रदेश में अपने काम को लेकर भ्रमण करते रहना पड़ेगा।

नवमांशा चार्ट में चंद्रमा सातवें घर में बैठा है जोकि अक्सर बर्थ - चार्ट में सातवें घर में होता है। चंद्रमा का सातवें घर में होना ये दिखाता है कि राहुल बाबा के भाई बहन बहुत सहायक होंगे जैसकि हम ने पहले भी देखा है।

बृहस्पति चन्द्रमा के पक्ष में है और गज केसरी योग बनाता है। यह एक तरह की सकारात्मक विशेषता (पॉजिटिव फैक्टर ) है जो सत्तारूढ़ होने मदद करता है जोकि अबतक करता आया है लेकिन आगे क्या होना है वो देखना जरूरी है।

बर्थ चार्ट में चंद्रमा से 64वां नवम्सा का होना संकेत करता है एक बड़ी बीमारी को।

राहु की दशा शुरू है 8 सितम्बर 2017 से 27 अक्टूबर 2017 तक। निश्चित ही यह राहुल गांधी के लिए एक कठिन समय साबित होगा। ऐसे में राहुल बाबा को किसी भी तरह की चोट लगने और घोटाले के दोषारोपण से बचना होगा। राहु का यह पारगमन 8 वें घर से होगा।

सूर्य, बुध, बृहस्पति दसवें घर के करक ग्रह हैं। हम मुख्य रूप से सूर्य पर विचार करेंगे क्योंकि सूर्य ग्रह राजा, राजनीति और शासन दर्शाता है। सूर्य बहुत शक्तिशाली और फायदेमंद होता है अगर नौवें घर में हो तो।और उसपर अगर सूर्य ग्यारहवें घर का मालिक है तो जातक को जीवन में एक बड़े पैतृक भाग्य जिसमें घर, वाहन और हर काल्पनीय लक्जरी का उपहार मिलता है, जोकि राहुल बाबा को मिला भी। यह संयोजन जातक को सत्य प्रेमी और आध्यात्मिक बनाता है चाहें बुद्धि भले ही कुछ काम हो। सत्य प्रेमी और आध्यात्मिक होने का यह मतलब नहीं की जातक बहुत ज्यादा बुद्धिमान भी हो।

अब हम और क्या बोलें आगे आप खुद ही अंदाज लगा लीजिए क्योंकि राहुल बाबा की जिंदगी तो खुली किताब है भारतीय जनता के लिए। लेकिन हाँ यह हम दावे के साथ कह सकते हैं कि राहुल बाबा की कुंडली में सूर्य ग्रह बहुत ही खुश व् ताकतवर है जो इनको प्रधानमंत्री बनने में बहुत ज्यादा मदद कर सकता है अगर हालात बदलने लगते हैं तो ?

राहुल बाबा की कुंडली में दूसरा घर और उसका स्वामी। 

राहुल बाबा की राशिफल में दूसरा घर दिखता है वाक्चतुरिता, संतुलित भोजन, शैक्षणिक उपलब्धियों का होना और सत्तारूढ़ शक्तियों से दो दो हाथ करना। लेकिन हम यहाँ पर यह कहने के लिए क्षमा चाहते हैं कि राहुल बाबा की कुंडली का दूसरा घर 362 यूनिट की ताकत लिए हुए है जो निश्चित रूप से बहुत कमजोर है। और तो और दूसरे घर का स्वामी मंगल भी ईश्त और काश्त के अनुपात में कमज़ोर है। ऊपर से राहु और शनि का पहलु जो मंगल ग्रह को बेवकूफ़ बना अपना कार्य नहीं करने देता। 

हमने पहले भी बताया की बाबा की कुंडली का (बाबा बोले तो राहुल बाबा नाकि कोई डेरे वाला बाबा), तो हम क्या बता रहे थे राहुल जी की कुंडली का दूसरा घर कमज़ोर है जो वाक्चतुरिता में अपरिपक़्वता को संकेत करता है और ऊपर से मंगल ग्रह बैठ गया है एक कमज़ोर घर में, तो ऐसे में क्या होगा, यानि की अच्छे घर का मंगल संकेत करता है एक अच्छे वक्ता का, पर ये क्या यहाँ तो मंगल जाकर बैठ गया है एक कमज़ोर घर में।  

ऐसे में जातक किसी पर भी अपना अच्छा प्रभाव छोड़ने में असमर्थ होता है। अगर बोलते समय थोड़ा सा भी आत्मविश्वास डिग गया तो उसी समय उसके अंदर एक तरह की खिन्नता भर जाती है और वह एक बहुत ही मज़ेदार व् बुरा वक्ता बन जाता है। ऐसा इसलिए होता है की सूर्य जो कि बहुत ही पावरफुल है, वह यह फील करवाता है कि तुम ये क्या तुच्छ यानिकि टुच्चा काम कर रहे हो, तुम तो एक बहुत बड़े ख़ानदान के वारिस हो, हटो धिकार है तुम पर। ये हम नहीं कह रहे, ये तो इनकी कुंडली कह रही है। बाकि तो जनता समझदार है ही। 

दूसरा हम आप को यह भी बता दें कि प्रतिकूल मंगल ग्रह (मतलब फल नहीं देने वाला) से एक स्थिर और फलदायी वैवाहिक संबंध नहीं हो पाता।

अब हम आगे बात करेंगे ग्रह बुध की, जो बुद्धि, वाक्पटुता, होश्यारी और समस्या को सुलझाने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है, पर यहाँ पर तो बुध भी जिम्मेदार है क्योकि यह भी कमज़ोर है।

ग्रह बृहस्पति कुंडली के दूसरे घर का कारक है और इसमें 130% आवश्यक शक्ति है। बृहस्पति वर्गोतम होते हुए स्ट्रांग और बेनेफिशियल है। इस तरह से अच्छे बृहस्पति का दूसरे घर में होने से यह कुछ हद तक बृहस्पति कमज़ोर मंगल की bad energy को चूस लेता है और मंगल को कभी कभी अच्छे फल देने के लिए मज़बूर कर देता है।

हमारी फाइनल रिपोर्ट यह कहती है कि..... 

राहुल बाबा यानि कि राहुल गाँधी मूल रूप से एक अच्छे और दयालु व्यक्ति हैं और निजी स्तर पर किसी को धोखा देने के लिए नहीं बने हैं पर इनकी कुंडली में इनके किसी भी तरह से राजा बनने की यां फिर हम अपनी भाषा में कहें तो भारत का प्राइम मिनिस्टर बनने की क्षमता नहीं है। इसके अलावा अगर हम कुछ इस तरह से कहें कि जटिल परिस्थितियों का विश्लेषण करने और जनता के साथ संवाद करने में उनकी अक्षमता मुख्य रूप से आड़े आ रही है।

पांचवां घर भी, जो इंडीकेट करता है अपने अधीनस्थों को अच्छी सलाह देने का पर यहाँ तो पाँचवें घर पर भी राहु और शनि की नीच दृस्टि लगने से अच्छे रिजल्ट्स मिलते मिलते बिगड़ जाते हैं। अतः उनके लिए अपनी टीम बनाने और जीत के लिए नेतृत्व करना मुशिकल ही नहीं असंभव है।

तो ऐसे में क्या वह भारत के प्रधान मंत्री बन सकते हैं ?

Team:
www.ShankerStudy.com




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