For the Students of Hindu Vedic Astrology by Dr. A. Shanker

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Astro Paramarsh Pardeep


मेरे प्यारे मित्रो आज में आप सभी को कुछ बिमारियों का संछिप्त परिचय देना चाहता हूँ।
मित्रो लाल किताब जियोतिष में किसी की भी जन्म कुंडली देख कर आसानी से इये पता चल जाता है कि अमुक व्यक्ति को किस उम्र में और कौन सी बीमारी हो जायगी। और सही समय पर कुंडली दिखा कर लाल किताब के उपाय कर लिए जाएँ। और सावधानियां के मुताबिक जिंदगी को जिया जाये तो इन बुरी बिमारियों से बचाव आसानी से सम्भव है। जी हाँ मित्रो जियोतिष् के अच्छे जानकर लोग इन सब बातों को आसानी से पहचान लेते हैं। बो बात अलग है कि आपको सही जियोतिषी मिले या ना मिले लेकिन सच यही है कि अगर किसी को सही समय पर सही जियोतिषी से मुलाकात सम्भव हो सके तो बो आपकी पूरी जिंदगी की विवेचना सही और सटीक कर सकता है। और आपको आने बाले समय के मुताबिक उपाय और सावधानियां बता दे और आप उसके द्वारा बताये गए उपाय करके साथ ही सावधानियां अपना कर अच्छा और सरल जीवन जी सकते हैं। जबकि एलोपैथी बिज्ञान में बीमारी होने के बाद भी आजकल के डॉक्टर पैथोलॉजी लैब की रिपोर्ट पर ही भरोशा करते हैं। मेरा मतलब साफ है की जब बीमारी पूरी तरह से आपको अपनी गिरफ्त में ले लेती है तब ही डॉक्टरों की दुनियां में इलाज सम्भव है। लेकिन मित्रो जियोतिष् बो विधा है जहां पर आने बाले समय के विषय में खुल कर और सही बात बताने का चलन है। फिर भी हम जियोतिष् को बो स्थान नही देते क्यूं मेरी समझ में इसका एक कारण विशेष भी है हमारे आज कल के जियोतिषी जियोतिष् पर रिर्सच नही करते और हकीकत में ज्यादातर जियोतिषी कर भी नही सकते किउंकि उनको कुछ आता जाता ही नही। फिर आजादी के 67 साल बाद भी हमारी भारतीय सरकार ने जियोतिषयों के लिए कोई भी और कैसे भी मानक तैयार नही करबाए इस कारण जिसको कोई काम काज नही आता सिर्फ घुमा फिरा कर अपनी बात को बोलना आता है और 2,4 किताबें पड़ लेते हैं। बही अपने आपको जियोतिषी कहने लगता है और लोगों को बेवकूफ बनाने की दुकान खोल कर बैठ जाता है। इसलिए में आप सभी लोगों को हमेशा बोलता हूँ कि जब भी आप किसी जियोतिषी के पास जाएँ तब अपने विषय में उसे कुछ भी ना बताये सिर्फ और सिर्फ अपने जन्म का विवरण दें और उसी जियोतिषी से पूछें की आपके विषय में फलादेश करे क्या अच्छा और क्या बुरा चल रहा है। अगर बह सब जानकारी सही सही बता दे तब ही उसके द्वारा दिए गए उपाय और सावधानियों को अपनाये और उसका उचित आदर सत्कार करते हुए उसकी दक्षिणा दें। 


fb पर मेरे बहुत से मित्र ऐसे हैं जो अभी जियोतिष सीख रहे हैं। पूर्ण रूप से कुंडली का विश्लेषण नहीं कर पाते। मेने इये पोस्ट खासतौर से ऐसे ही नौसिखिया astrologers को ध्यान में रख कर लिखी है। बैसे इस पोस्ट से फायदा तो सभी भाई बहनों को होगा किउंकि इस पोस्ट को पड़ने के बाद आप सभी इये अंदाजा आसानी से लगा ही लेंगे की किसकी कुंडली में कौन सा ग्रह कोन् सी बीमारी देगा साथ ही मेने भी अपनी पूरी कोशिश की है कि में आपको आसानी से समझा सकूं। 


मेने इस पोस्ट के माध्यम से आपको रोजमर्रा में होने बाली बिमारियों के विषय में विषतरत जानकारी देने की कोशिश की है। 


1-गुस्सा ज्यादा, जब किसी की कुंडली में सूर्य घर 1 में हो,सूर्य मंगल एक साथ हों,सूर्य शनि एक साथ या सूर्य शनि मंगल एक साथ हों तो ऐसे व्यक्ति को ज्यादा गुस्सा और जल्दी ही गुस्सा आ जाता है। गुरु घर 5 में हों तब भी गुस्सा जल्दी और ज्यादा देते हैं। 


2- बुध मंगल एक साथ हों तो ऐसे व्यक्ति को खून से सम्बंधित परेशानी से गुजरना होता है साथ ही जब मंगल के कारण से बुध ज्यादा खराब हो जाये तो BP की परेशानी साथ ही मंगल बुध दोनों ज्यादा बुरे हाल तो पागल पन की बीमारी हो जाती है। और गैस एसिडिटी कब्ज की भी शिकायत रहती है। इस योग के कारण लिवर से सम्बंधित बीमारी भी हो जाती हैं। 


3- मंगल शनि का योग भी गैस की परेशानी देता है। 


4- शनि देव घर 1 में हों तो भी गैस की प्रॉब्लम देते हैं। 


5- सूर्य शुक्र एक साथ हों तो शरीर में जोश की कमी हो जाती है। ऐसे व्यक्ति में सेक्स की छमता कमजोर हो जाती है। जीवन साथी के शरीर में भी अंदरूनी बीमारी हो जाती है। जिसकी पहचान जल्दी नही होती। 


6- राहू शुक्र के मिलने से व्यक्ति को नपुंष्कता अनुभव होती है। किउंकि ऐसा व्यक्ति कम उम्र में ही अपने वीर्य हो नष्ट कर लेता है। वीर्य से सम्बंधित बीमारी जैसे स्पर्म की कमी आदि, इसके अतिरिक्त शरीर में कैलशियम की कमी हो जाती है। 


7- बुध और गुरु देव व्रहष्पति मिलते हों तो अस्थमा साइनस की बीमारी हो जाती है। इये दोनों जिस घर में बैठे हों उस घर से सम्बंधित बीमारी भी देते हैं। जैसे दोनों घर 7,12 में बैठ जाएँ तो नपुंष्क तक बना देते हैं।
8- सूर्य बुध राहू मिलते हों तो आथरायटिश की बीमारी देते हैं। 


9- सूर्य नीच का या शनि राहू के साथ सम्बन्ध बना ले और गुरु बुध या गुरु राहू का योग हो जाये तो पीलिया जैसी गन्दी बीमारी जीवन में कई बार होती है। 


10- जिस व्यक्ति की कुंडली में केतु देव नीच के होंगे उसके कमर पाँवो जोड़ों में दर्द की शिकायत बनी रहेगी। साथ ही उसे पेशाब और किडनी के परेशानी भी देते हैं। 


11-बुध गुरु,या राहू गुरु दिमाग को सही डारेक्सन नहीं मिलने देते। अजीब अजीब सी भ्रांतियां होती हैं। 


12- मंगल बुध एक साथ और सूर्य शनि भी मिल रहे हों तो कैंसर जैसी बुरी बीमारी बन जाती है। 


13- राहू गुरु मिलते हों तो अस्थमा t b(तपेदिक) फेफड़ों से सम्बंधित और साँस की तकलीफ देते हैं। 


14- चन्द्र देव जब शुक्र देव के साथ मिलते हो तो आँखों और चमड़ी से सम्बंधित बीमारी जैसे सफेद दाग,चमड़ी पर चककत्ते आदि हो जाते हैं। 


15- चन्द्र बुध जिस जातक की कुंडली में मिलते हों बो व्यक्ति बहुत ही जिददी हो जाता है और जिद ज्यादा होने के कारण किसी की बात नहीं मानता और अपना जीवन नर्क बना लेता है। 


16- सूर्य मंगल बुध या बुध मंगल मिलते हों तो ऐसे व्यक्ति को B P हाई की दिक्कत कम उम्र में शुरू हो जाती है। नशों नाड़ियों में ब्लोकेज हो जाते हैं। खून से सम्बंधित बीमारी परेशानी खड़ी रहती है।
17- केतु खराब नीच के मन्दे हों और गुरु देव भी बुरे हाल साथ ही चन्द्र देव भी नीच मन्दे हों तो नर औलाद पैदा करने की शक्ति नष्ट हो जाती है। बेशक कन्या सन्तान पैदा हो जाये। 


18- शनि चन्द्र के मिलने से भी वीर्य में स्पर्म की कमी हो जाती है। 


मित्रो में इस पोस्ट पर आपको पूरे आत्म विश्वास से बताना चाहता हूँ कि लाल किताब जियोतिष् में इन सभी और इनके अतिरिक्त अन्य सभी बिमारियों से बचाव सम्भव है। सिर्फ और सिर्फ कुछ उपाय करने होंगे और कुछ सावधानियां अपनानी होंगी । 


मित्रो आज मेने आपको बिमारियों से सम्बंधित परेशानियों का छोटा सा रूप प्रस्तुत किया है। आज समय की परेशानी होने के कारण इन बीमारियो का पूर्ण विस्तार से कहना मुशकिल लगा उम्मीद करता हूँ इस गलती के लिए आप मुखे माफ़ कर देंगे। जब भी मुझे समय मिलेगा इन सभी साथ ही अन्य बिमारियों के विषय में विस्तार से चर्चा जरूर करूंगा। 



सोजन्य से
एस्ट्रो परामर्ष
प्रदीप कुमार गुप्ता 













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