किस मनोकामना के लिए कौन से भगवान को पूजना चाहिए? हमारी सभी आवश्यकताओं और मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए भगवान की भक्ति से अच्छा कोई और उपाय नहीं है। कहा जाता है कि सच्चे से भगवान से प्रार्थना की जाए तो सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण हो जाती हैं। वैसे तो सभी देवी- देवता हमारी सभी इच्छाएं पूर्ण करने में समर्थ माने गए हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए अलग-अलग देवी-देवताओं को पूजने का विधान भी बताया गया है। शादी या विवाहित जीवन से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए शिव- पार्वती, लक्ष्मी-विष्णु, सीता- राम, राधा-कृष्ण, श्रीगणेश की पूजा करनी चाहिए। धन संबंधी समस्याओं के लिए देवी महालक्ष्मी, कुबेर देव, भगवान विष्णु से प्रार्थना करनी चाहिए। पूरी मेहनत के बाद भी यदि आपको कार्यों में असफलता मिलती है तो किसी भी कार्य की शुरूआत श्रीगणेश के पूजन के साथ ही करें। यदि आपको किसी प्रकार का भय या भूत-प्रेत आदि का डर सताता है तो पवनपुत्र श्री हनुमान का ध्यान करें। पति-पत्नी बिछड़ गए हैं और काफी प्रयत्नों के बाद भी वापस मिलने का योग नहीं बन पा रहा हो तो ऐसे में श्रीराम भक्त बजरंग बली की पूजा करें। सीता और राम का मिलन भी हनुमानजी द्वारा ही कराया गया, अत: इनकी पूजा से विवाहित जीवन की सभी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। पढ़ाई से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए मां सरस्वति का ध्यान करें एवं बल, बुद्धि, विद्या के दाता हनुमानजी और श्रीगणेश का पूजन करें। यदि किसी गरीब व्यक्ति की वजह से कोई परेशानी हो रही हो तो शनिदेव, राहु और केतु की वस्तुओं का दान करें, उनकी पूजा करें। भूमि संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए मंगलदेव को पूजें। विवाह में विलंब हो रहा हो तो ज्योतिष के अनुसार विवाह के कारक ग्रह ब्रहस्पति बताए गए हैं अत: इनकी पूजा करनी चाहिए। केवल ऐसे शिवलिंग की पूजा हो सकती है अन्य मूर्तियों की नहीं, क्योंकि... शिवजी का पूजन लिगं रूप में ही सबसे ज्यादा फलदायक माना गया है। महादेव का मूर्तिपूजन भी श्रेष्ठ है लेकिन लिंग पूजन सर्वश्रेष्ठ है। सामान्यत: सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां कहीं से टूट जाने पर उनकी प्रतिमाओं को खंडित माना जाता है लेकिन शिवलिंग किसी भी परिस्थिति में खंडित नहीं माना जाता है। जबकि अन्य देवी- देवताओं की मूर्तियां यदि खंडित हो जाती हैं तो उनकी पूजा करना शास्त्रों द्वारा निषेध किया गया है। शास्त्रों के अनुसार शिवजी का प्रतीक शिवलिंग कहीं से टूट जाने पर भी खंडित नहीं माना जाता। जबकि अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा खंडित होने पर उनका पूजन निषेध किया गया है। जबकि शिवलिंग कहीं से टूट जाने पर भी पवित्र और पूजनीय माना गया है। ऐसा इसलिए है कि भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल अर्थात निराकार कहे गए हैं। भोलेनाथ का कोई रूप नहीं है उनका कोई आकार नहीं है वे निराकार हैं। महादेव का ना तो आदि है और ना ही अंत। लिंग को शिवजी का निराकार रूप ही माना जाता है। केवल शिव ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते है। इस रूप में समस्त ब्रह्मांड का पूजन हो जाता है क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण माने गए हैं। शिवलिंग बहुत ज्यादा टूट जाने पर भी पूजनीय है। अत: हर परिस्थिति में शिवलिंग का पूजन सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का पूजन किसी भी दिशा से किया जा सकता है लेकिन पूजन करते वक्त भक्त का मुंह उत्तर दिशा की ओर हो तो वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। |
|
0 comments:
Post a Comment
Please give us your feedback to improve our content which is purely based on our research work.
sincerely
Dr. Shanker Adawal